कॉक्लियर इम्प्लांट एक बहुत ही असाधारण और जटिल प्रिक्रिया वाला यन्त्र है l कॉक्लियर इम्प्लांट के द्वारा आज दुनिया में लाखो लोग जो सुनने में अक्षम थे, वो अब सुन पा रहे है , समझ पा रहे है और बोल पा रहे है l अगर आप भी अपना या अपने किसी परिजन का कॉक्लियर इम्प्लांट कराने का विचार कर रहे है तो आपको कॉक्लियर इम्प्लांट के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी होना बहुत जरुरी है l
तो आइये जानते है कॉक्लियर इम्प्लांट काम कैसे करता है :
कॉक्लियर इम्प्लांट के मुलत: दो हिस्से होते है :
साउंड प्रोसेसर (sound processor)
इम्प्लांट (implant)
साउंड प्रोसेसर (sound processor):
ये आपके कॉक्लियर इम्प्लांट का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है l साउंड प्रोसेसर आपके आस पास की आवाज़ों को विद्युत् तरंगो में बदल कर इन्हे आपके इम्प्लांट तक भेजने का कार्य करता है l
ये दो प्रकार के होते है :
बिहाइंड द इयर (Behind the Ear, BTE) : जो परम्परागत तरीके से कान के ऊपर पहने जाते है l
2. ऑफ द इयर (off the ear, OTE) : इस तरह के प्रोसेसरस का प्रचलन अभी कुछ ही समय से हुआ है, इसे सर के ऊपर पहना जाता है l
2. इम्प्लांट (implant)
इम्प्लांट को एक परिशिक्षित ENT डॉक्टर सर्जरी द्वारा आपके कान के कॉक्लिया नाम के हिस्से में लगाते है l ये बहुत ही नाज़ुक और कृत्रिम उपकरण होता है और इसे सही से लगाने के लिए बहुत वर्षो के परिशिक्षण की जरुरत पड़ती है l इसका कार्य , साउंड प्रोसेसर के द्वारा प्राप्त विद्युत् तरंगो को कान की नसों तक पहुँचाना होता है l
कौन सा साउंड प्रोसेसर और इम्प्लांट लगाए ?
इस सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं है l हर किसी का कान भिन्न होता है और उसकी जरूरते भी अलग अलग होती है l ये फैसला मरीज़ , उसके परिवार के सदस्य , इ.न.टी. सर्जन और एक ऑडिओलॉजिस्ट मिल कर करते है l
लेकिन कुछ बातो पे दुनियाभर के इ.न.टी और ऑडिओलॉजिस्ट एक विचार रखते है वो है :
कॉक्लियर इम्प्लांट जितनी काम उम्र में होगा या श्रवण दोष होने के बाद जितनी शीघ्र होगा , मरीज़ को उतना ज्यादा लाभ मिलेगा
एक के बजाये दोनों कानो में कॉक्लियर इम्प्लांट कराने से ज्यादा लाभ होता है l
अगर आप कॉक्लियर इम्प्लांट कराने का विचार कर रहे है तो शीघ्र किसी परिशिक्षित ऑडिओलॉजिस्ट (audiologist) या इ. ऐन . टी (ENT) सर्जन से परामर्श लें l
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