कोक्लियर इम्प्लांट एक आधुनिक यन्त्र है जो पूर्ण रूप से बधिर व्यक्तियों को सुनने में मदद करता है l यह यन्त्र ऑपरेशन के द्वारा कान में लगाया जाता है।
कोक्लियर इम्प्लांट किन का हो सकता है ?
बच्चो में :
5 साल से छोटे बच्चो में कोक्लियर इम्प्लांट से सबसे ज्यादा फायदा होता है।
जिन बच्चो में सुनने की क्षमता 90 dBHL या उससे भी कम हो।
जिन बच्चो में हियरिंग ऐड लगाने और स्पीच थेरैपी के बाद भी भाषा का विकास नही हो रहा हो।
व्यस्को में :
जिन वयस्कों को सुनाई की क्षमता 90 dBHL या उससे भी कम हो गयी हो।
Hearing Loss के एक साल के अंदर कोक्लियर इम्प्लांट करने से सबसे अधिक फायदा होने की उम्मीद होती है ।
जिन वयस्कों को हियरिंग ऐड लगाने के बावजूद भी भाषा समझने में कठिनाई हो रही हो।
कॉक्लियर इम्प्लांट करने से पहले क्या करें ?
अगर आप किसी शिशु में बधिरता के लक्षण देख रहे है (जैसे अगर आपका बच्चा तेज आवाज़ पर भी ध्यान नहीं दे रहा )। आप अपने बच्चे के निम्मलिखित परीक्षण एक योग्य Audiologist के द्वारा कराने चाहिए :
नवजात शिशु की सुनाई की जांच (New-born Hearing Screening) : हमे हर बच्चे की New-Born Hearing Screening करानी चाहिए। इससे हमे सके जन्म के साथ ही उसकी सुनने की क्षमता का पता लग जाता है। आप अपने जच्चा बच्चा केंद्र से इसकी मांग कर सकते है।
अगर आपके बच्चे की New-Born Hearing Screening में Refer परिणाम आता है तो आपको अपने बच्चे की सुनाई की विस्तृत जांच की जरुरत पड़ती है। आप अपने डॉक्टर की सलाह से निम्मलिखित जांच करा सकते है:
ABR/ BERA
Detailed OAE
Free-field Audiometry
Impedance Audiometry
जब इन सब बताये गए परीक्षण द्वारा हमे सुनाई की विस्तृत जानकारी मिलती है तो हमे बच्चे को उपयुक्त hearing aid लगाने की जरुरत पड़ती है। हियरिंग ऐड लगाने के साथ साथ हमे एक प्रशिक्षित स्पीच थेरेपिस्ट की निगरानी में बच्चे की ट्रेनिंग करानी चाहिए।
अगर आपके बच्चे को hearing aids लगने के बाद भी बहुत कम फायदा हो रहा हो, तो कॉक्लियर इम्प्लांट जरुरी हो जाता है।
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